tag:blogger.com,1999:blog-4607275656373160915.post8495660332831145763..comments2023-10-18T08:49:39.067-07:00Comments on विचार-बिगुल: सावन का मस्त गीतडा. महाराज सिंह परिहारhttp://www.blogger.com/profile/01913083657620688491noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4607275656373160915.post-85236222827831578232011-11-13T07:54:36.922-08:002011-11-13T07:54:36.922-08:00♥
आदरणीय डॉ.महाराज सिंह परिहार जी
सादर सस्न...<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />♥</a></b><br /><br /><br /><br /><b><i> आदरणीय डॉ.महाराज सिंह परिहार जी </i></b> <br />सादर सस्नेहाभिवादन !<br /><br /><b> </b> वाह वाऽऽह… ! इतना प्यारा गीत पढ़ कर मन को तृप्ति मिली है मान्यवर!<br /><b>चूनर धानी पहिरै माटी<br />कारी रतियां जाय न काटी<br />बैरिन कोयलिया बौरावै<br />और पानी में अगन लगावै<br /><br />आज बेदर्दी है गयौ जमनवा रे<br />धीरे धीरे बरसियो बदरवा रे </b><br /><br />लोक रंग में रंगी इस रचना के लिए आभार ! <br /> <br /><b> बधाई और मंगलकामनाओं सहित…</b> <br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.com