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शनिवार, 24 जुलाई 2010

श्रेष्ठ कवि दिविक रमेश और व्यंग्यकार अविनाश


लोकसंघर्ष परिकल्पना ब्लॉगोत्सव-10 ने वर्ष के श्रेष्ठ कवि के रूप में चर्चित कवि दिविक रमेश को सम्मान देकर स्वयं को महिमामंडित किया है। उनकी पहचान पहले से ही हिंदी जगत में ससम्मान है। उन्हें हिंदी साहित्य के कई पुरस्कार मिल चुके हैं। जिनमें सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार भी शामिल है। उनकी पुस्तकों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हुआ है। वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी है। हिंदी की लगभग सभी विधाओं पर उनका साधिकार लेखन है। दिल्ली निवासी दिविक रमेश का वास्तविक नाम रमेश चंद शर्मा है। वह मोतीलाल नेहरू कालेज दिल्ली में प्राचार्य हैं।
दिविक रमेश अनेक देशों जैसे जापान, कोरिया, बैंकाक, हांगकांग, सिंगापोर, इंग्लैंड, अमेरिका, रूस, जर्मनी, पोर्ट ऑफ स्पेन आदि की यात्राएं कर चुके हैं। आलोचक को संबोधित उनकी कविता-

समझ यह भी आता है
कि बहुत आसान होता है
व्याख्यायित करना अपने से इतर को
कि वह पेड़ है कि वह जड़ है
कि वह वह है कि वह वह है
और यह भी कि वह ऐसा है और वह वैसा है।

दिविक जी को अपनी कविता की यह पंक्तियां बेहद पसंद हैं-

जब चोंच में दबा हो तिनका
तो उससे खूबसूरत
कोई पक्षी नहीं होता

और ये भीरू
दरवाजा खुला हो
तो अंधड़-तूफ़ान ही नहीं
एक खूबसूरत
पंख भी तो आ सकता है
उड़ कर ।

ब्लॉगोत्सव में श्रेष्ठ व्यंग्यकार का पुरस्कार इस दुनियां के जाने माने लिक्खाड़ अविनाश वाचस्पति को मिला है। हिंदी ब्लॉग जगत को उन्होंने नये आयाम और बुलंदियां दी हैं। दिल्ली में जन्मे अविनाश शायद हर वक्त ब्लॉग की दुनियां में उपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। उनके कई ब्लॉग हैं जिनमें पिताजी, नुक्कड़, बगीची, तेताला, झकाझक टाइम्स आदि। लेकिन उनका चर्चित ब्लॉग नुक्कड़ ही है। इस ब्लॉग पर वह अपना परिचय इस अंदाज में देते हैं।
अंगूठा हूं मैं एक
ऊंगलियां चार
मिले सब हथेली हो गई तैयार
दसों से करता हूं कीबोर्ड पर वार
कीबोर्ड ही है अब मेरे लिखने का हथियार
जब बांध लिया तो बन गया मुक्का
सकल जग की ताकत है अब चिट्ठा।

चिट्ठाजगत में संभवतः अविनाश ही ऐसे चिट्ठाकार हैं जिनकी टिप्पणियां लगभग हर ब्लॉग पर मिल जायेंगी। चाहे वह टिप्पणीकर्ता के रूप् में अथवा अनुसरण कर्ता के रूप् में। उनका लेखन भी बहुआयामी है। उनके व्यंग्य चुटीले और व्यवस्था पर तीखी चोट करते प्रतीत होते हैं। ब्लॉगरों से मिलना और उसेे संस्मरण के रूप् में चिट्ठा जगत में प्रस्तुत करने का उनका अपना तरीका है। उनके व्यंग्य आलेख कई पत्रों में निरंतर प्रकाशित होते रहते हैं। उन्होंने बहुत लोगों को ब्लॉग दुनियां में आने के लिए प्रेरित किया है और ब्लॉगर्स को एक मंच पर लाने को वह प्रतिबद्ध नजर आते हैं।

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