www.hamarivani.com

बुधवार, 9 जून 2010

भोपाल के तत्कालीन जिलाधिकारी कायर


अफ़सोस की बात है की आज भोपाल के तत्कालीन जिलाधिकारी श्री मोती सिंह को यह बात याद आ रही है की उन्हें यूनियन कार्बाइड के चीफ वारेन एन्डरसन की ज़मानत सुनिश्चित कराने का आदेश मुख सचिव ने दिया था। उस समय अर्जुन सिंह मुख्मंत्री थे। इस तरह के बयां देने से आम जनता में यह सन्देश गया है की जिस आई ए एस की नौकरी को सर्वाधिक ताकतवर समझा जाता है। उन्हें योग्य मन जाता है। वे किस दबाव या स्वार्थवश गलत आज्ञा को मानकर अपनी नौकरी कर पेट पलते हैं। ऐसे लोगों को देश की सर्वोच्च सेवा में रहने का कोई अधिकार नहीं है। काश अगर वह इस जानकारी को उस समय लीक कर देते या जाँच आयोग के सामने सच्चाई बता देते तो देश का कितना भला होता j। सच बात कहने और गलत आज्ञा न मानने पर उन्हें को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तो कोई बना नहीं देता। ज्यादा से ज्यादा यह होता की उनका ट्रांसफर कर दिया जाता लेकिन वह जनता की निगाहों में हीरो बन जाते। यह देश के पूर्व नौकरशाहों और नेता आदि की आदत है की वे रिटायर होने के बाद बोलते हैं। वास्तव में ऐसे अधिकारीयों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई होनी चाहिए. शर्म तो इस बात की है की जिस भोपाल गैस लीक त्रासदी में पंद्रह हजार लोग मारे गए। लाखों लोग प्रभावित हुए। उस समय जिलाधिकारी की ईमानदारी और नैतिक बोध कहाँ चला गया था। दबाव में आने वाले और गलत आज्ञा को मानने वाले ऐसे अधिकारीयों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. जिलाधिकारी मोती सिंह को समूचे देश से अपनी अक्षमता और कायरता के लिए माफी मांगनी चाहिए.

8 टिप्‍पणियां:

  1. ये IAS और IPS समाज को एक अच्छी व्यवस्था देने के वजाय कुव्यवस्था फ़ैलाने और कुकर्मियों के रक्षा का काम कर रहें हैं ,पूरे देश में IAS और IPS के पद को ही समाप्त करने की जरूरत है क्योकि इनके ऊपर किया जाने वाला खर्च उपयोगिता खो चूका है |

    जवाब देंहटाएं
  2. चलिये कम से कम अब तो सच्चाई बता दी! क्वात्रोची, हेडली, एण्डर्सन् ... इनको देश से भगा देना और भगने में सहयोग करना; अफजल आदि की फाँसी की सजा को रोके रखना; आतंकवादियों को पद्म पुरस्कार देना; मावोवादियों पर कार्यवाही न करना; चीन द्वारा धीरे-धीरे किन्तु लगातार हड़पी जा रही भारत की जमीन पर आंखें मूद लेना; भारत को अशान्ति का अड्डा बना देना - क्या ये सब एक योजना के अन्तर्गत नहीं हो रहा है? यही सब के तो ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने इस देश को गुलाम बनाया था।

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या होता उस समय, इलेक्ट्रानिक मीडिया भी नहीं थी और इतनी जागरुकता भी.. जो अफसर खिलाफ जाता उसे पेंशन भी नहीं मिलती..
    रही बात इन अफसरों के रवैये की, अगर इतना ही (मतलब चौथाई ही) आदर्शवादी होते तो आज यह दिन देखना न पड़ते.. वर्ड वेरीफिकेशन हटा लीजिये कृपया..

    जवाब देंहटाएं
  4. ऊपर अनुनाद जी ने जो चन्द कारण बताये हैं, क्या उसमें सारा दोष सिर्फ़ IAS और IPS का ही है? मोतीसिंह के लिये तो आप प्रकरण दर्ज करने की मांग कर रहे हैं, कायर कह रहे हैं, लेकिन अर्जुन सिंह ने हेलीकॉप्टर मुहैया करवाया, खुद भोपाल छोड़कर भाग गये, दिग्विजय सिंह ने 10 साल तक भाड़ झोंकी, 25 साल में 8-8 प्रधानमंत्री बीसियों बार अमेरिका गये और दुम दबाकर लौट आये… इनके बारे में क्या कहना है आपका?

    जवाब देंहटाएं
  5. विश्व की सबसे नीच राजनैतिक संस्कृति वाली पार्टी कांग्रेस को ऐसे ही नहीं कहते…। "रंगीले रतन" नेहरु ने यदि अपने जमाने में जीप घोटाले को दबाया न होता, मेनन को सजा दिलवाई होती, IAS प्रणाली को समाप्त करके भारतीय पद्धति वाली शासन व्यवस्था लागू की होती, कश्मीर को भी सरदार पटेल के ही हवाले किया होता, तो आज भारत का चेहरा कुछ और ही होता…।

    जनता को शिक्षित और जानकार बनाने का काम प्रेस और बुद्धिजीवियों का होता है, लेकिन पद्म पुरस्कारों के लालच में "परिवार विशेष" की चमचागिरी ने देश को गर्त में धकेल दिया है। गरीब और अनपढ़ जनता तो गाँधी परिवार के "त्याग और बलिदान" के किस्सों से चमत्कृत हो जाती है… उसे क्या मालूम कि ये बुद्धिजीवी और पत्रकार किस प्रकार 60 साल से "बौद्धिक वेश्यावृत्ति" में लगे हुए हैं।

    जवाब देंहटाएं
  6. लगता है आपको ये अच्छा नहीं लगा कि इस अधिकारी ने कातिल कांग्रेसियों की गद्दारी की पोल खोल दी ।अच्छा तरीका चुना आपने अपनी बफादारी निभाकर ततकालीन मुख्य़ामन्त्री व प्रधानमन्त्री की गद्दारी का दोश एक अधिकारी के सिर डालकर।
    अक्सर कायर लोग ऐसा रास्ता चुनते हैं ताकि वो पुलिस व कर्मचारियों को दोश देकर नेताओं के कुरोप से बचे रहें।

    जवाब देंहटाएं
  7. वो सचिव कौन था उस समय ? जायदातर आई ऐ अस अधिकारी तब भी और अब भी ऐसे ही थे /हैं! जिलाधिकारी क्या करता जब मुख्य सचिव उसके सीने पर चढ़ बैठा ...

    जवाब देंहटाएं
  8. यहाँ सवाल यह भी है कि किसी इंसान का नैतिक बोध (सही निर्णय लिये जाने के संदर्भ में) किस कीमत पर जागृत होता है? अगर कलेक्टर का परिवार गैस कांड की चपेट में आ गया होता, क्या तब भी वे उच्च अधिकारी का इस तरह का अनुचित (जिन धाराओं के तहत एंडरसन को गिरफ्तार किया गया था उसमें कलेक्टर या पुलिस उसे मुचलके पर छोड़ नहीं सकती थी) आदेश मानते?

    जवाब देंहटाएं