वर्तमान समय मूल्यों के पतन का है। ऐसे समय में रचनाकारों का दायित्व बन जाता है कि वे अपने युगधर्म का निर्वाह करें। यह ब्लॉग रचनाधर्मिता को समर्पित है। मेरा मानना है-
युग बदलेगा आज युवा ही भारत देश महान का।
कालचक्र की इस यात्रा में आज समय बलिदान का।
शनिवार, 2 अक्तूबर 2010
आगरा के बल्केश्वर घाट पर बलखाती यमुना का अवलोकन करते डा. सुभाष राय एवं डा. महाराज सिंह परिहार
bahut khoob. ham dono yamuna se dare hue lagate hain. chehare kee havaaiyaan udee hui, shakal ast-vyst jaise abhee-abhee kisee ne jamkar dhunaai kee ho.
जवाब देंहटाएंकाहो डॉ साहब बहती गंगा में हाथ धोने पहुँच गए का मर्दवा :)
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